
हमारी रगों में है इस्लाम
हम बर्दाश्त नहीं करेंगे
आगे मौलाना कहता है कि इसमें एक कानून बनाया गया है कि अब मामू की लड़की और फूफी की लड़की से निकाह नहीं कर सकते हैं लेकिन इसकी इजाजत तो हमारा शरीयत हमें देता है। किसी ने अपनी बीवी को तलाक दिया है तो फिर उस तलाकशुदा महिला को 3 महीने इद्दत करनी पड़ती है लेकिन UCC में यह खत्म सब कर दिया गया है। हमारी शरीयत के भीतर दखल हम बर्दाश्त ये नहीं कर सकते।
किसी से भी नहीं कर पाएंगे निकाह
बता दें कि समान नागरिक संहिता यानी UCC लागू होने से मुस्लिम मर्दों का किसी से भी निकाह कर लेना आसान नहीं होगा। UCC में 74 ऐसे रिश्तों का जिक्र किया गया है, जिसमें न तो उनके साथ निकाह में बंध सकते हैं और न ही लिव इन रिलेशनशिप में। अगर वो ऐसा करते हैं तो सबसे पहले मौलानाओं को बताना पड़ेगा। रजिस्ट्रार को भी सूचित करना पड़ेगा। रजिस्ट्रार तय करेगा कि रिश्ता सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ है या नहीं। नियम के विरुद्ध पाए जाने पर रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर दिया जाएगा