

Indian Air Force: भारत सहित 15 देशों की वायु सेनाओं ने सोमवार से ग्रीस में शुरू हुए बहुराष्ट्रीय वायु सेना अभ्यास ‘इनियोचोस-25′(INIOCHOS 25) में हिस्सा लिया. इस सैन्य अभ्यास (Greece Air Exercise) का उद्देश्य आधुनिक वायु युद्ध की बारिकियों की ट्रेनिंग और रणनीतियों का आदान-प्रदान करना है. इस अभ्यास में भारत के साथ अमेरिका, फ्रांस, इजरायल, स्पेन, इटली और ग्रीस जैसे प्रमुख देश शामिल हुए. इसके अलावा पोलैंड, कतर, यूएई, स्लोवेनिया भी सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं. साइप्रस का प्रतिनिधित्व उसके सपोर्ट स्टाफ द्वारा किया जा रहा है. बहरीन और स्लोवाकिया इस युद्धाभ्यास में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुए हैं.
भारतीय वायुसेना की भागीदारी
भारतीय वायुसेना के दल ने सोमवार को ग्रीस पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. इस अभ्यास में भारत के लड़ाकू विमानों में सुखोई-30 एमकेआई, आईएल-78 और सी-17 जैसे युद्धक सहायक विमान शामिल हैं. ग्रीस के एंड्राविडा एयर बेस पर भारतीय सुखोई-30 एमकेआई ने अपनी ताकत दिखाई. रक्षा मंत्रालय के अनुसार ‘इनियोचोस-25’ एक द्विवार्षिक (हर दो साल में होने वाला) बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास है. जिसे ग्रीस की हेलेनिक एयर फोर्स द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य वायु सेनाओं के सामरिक कौशल को बेहतर बनाना, सामरिक ज्ञान साझा करना और मित्र देशों के बीच सैन्य संबंधों को मजबूत करना है. यह अभ्यास भारत को अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा.
अभ्यास की अवधि और स्थान
‘इनियोचोस-25’ अभ्यास 31 मार्च से शुरू होकर 11 अप्रैल तक चलेगा और ग्रीस के एंड्राविडा एयर बेस पर आयोजित किया जा रहा है. इस अवधि में विभिन्न देश अपने वायु सेना कौशल को साझा करेंगे और वायु युद्ध के संभावित परिदृश्यों का अभ्यास करेंगे. भारत की भागीदारी से भारतीय वायुसेना की संचालन क्षमता मजबूत होगी और अन्य देशों के साथ समन्वय में सुधार आएगा. यह अभ्यास भारतीय पायलटों को अन्य देशों की सैन्य रणनीतियों को समझने और उनसे सीखने का अवसर देगा. इसके अलावा यह अभ्यास भारत की वैश्विक रक्षा साझेदारियों को और सशक्त बनाने में मदद करेगा.
रक्षा मंत्रालय का बयान
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना की भागीदारी भारत की वैश्विक रक्षा सहयोग और परिचालन उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है. यह भारत और उसके मित्र देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास को बढ़ावा देने और आपसी तालमेल को और मजबूत करने में सहायक होगा. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के सैन्य अभ्यासों से भारत की रणनीतिक साझेदारियां मजबूत होंगी और भारतीय वायुसेना की तकनीकी व सामरिक क्षमताओं में वृद्धि होगी. इसके साथ ही यह अभ्यास भारत और अन्य मित्र देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभियानों की दक्षता को भी बेहतर बनाएगा.