
बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री हर हजार से ज्यादा फिल्में प्रोड्यूस करती है। इनमें से कुछ लीडिंग फिल्में खूब कमाई कर गदर काटती हैं तो कुछ बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरती हैं। फिल्मों के फूहड़ सीन्स और भद्दे आदर्शों पर लगाम लगाने वाले सेंसर बोर्ड यानी ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन’ (CBFC) भी खूब सुर्खियों में रहता है। बॉलीवुड के दिग्गज डायरेक्टर्स भी सेंसर बोर्ड की कैंची से नहीं बच पाते। खास बात ये है कि आज ही के दिन 75 साल पहले सेंसर बोर्ड का गठन हुआ था। आज 75वें जन्मदिन पर हम आपको बताते हैं कि फिल्मों का माई-बाप माना जाने वाला सेंसर बोर्ड कैसे काम करता है। साथ ही 12 हजार करोड़ रुपयों की इंडस्ट्री को कैसे घटिया दर्जे के मनोरंजन से बचाकर रखता है।
सीएस अग्रवाल रहे थे सीबीएफसी के पहले चेयरमैन
भारत की आजादी के बाद शुरू हुए पहले दशक 1950 में सिनेमा और समाज ने भारी बदलाव देखे। इस दौर को भारतीय सिनेमा का गोल्डन पीरियड भी कहा गया। साथ ही नई कहानी आंदोलन का भी असर सिनेमा पर हुआ और कहानियों ने अपना विस्तार पाया। इसी दौर में भारतीय की तत्कालीन सरकार ने 1952 में ‘सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन’ (CBFC) को सिनेमेटोग्राफी एक्टर 1952 और 1983 के तहत स्टेब्लिश किया था। सीएस अग्रवाल सीबीएफसी के पहले चेयरमैन रहे थे। इसके बाद भारतीय सिनेमा ने विकास की रफ्तार पकड़ी और इंडस्ट्री एक बिजनेस में बदलने लगी। देखते ही देखते बॉलीवुड फिल्मों की कहानियों ने वैरायटी अख्तियार करना शुरू की और सेंसर बोर्ड की सख्त जरूरत पड़ने लगी। आज ही के दिन सेंसर बोर्ड को शुरू किया गया था।
कैसे काम करता है सेंसर बोर्ड?
नियम के तहत हर फिल्मों के सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट लेना पड़ता है। इसके बाद ही फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होती है। सामान्यतः इस सर्टिफिकेट को लेने के लिए 68 दिनों की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। सबसे पहले एप्लिकेशन दी जाती है जिसे 1 हफ्ते के अंदर रिव्यू किया जाता है। इसके बाद 15 दिनों में एग्जामिनिंग कमेटी फिल्म का रिव्यू करती है। इसके अगले 10 दिन चेयरमैन के रिव्यू के लिए रिजर्व रहते हैं। आखिर में 36 दिनों के समय में स्टोरी में कट और दूसरे जरूरती बदलाव किए जाते हैं। इसके बाद ही फिल्म को सर्टिफिकेट मिलता है और रिलीज की जाती है।
12 हजार करोड़ रुपयों की इंडस्ट्री का माईबाप
बता दें कि सेंसर बोर्ड और डायरेक्टर्स के बीच कई बार विवाद और अनबन की खबरें सामने आती रहती हैं। इसके पीछे की वजह भी यही कि सेंसर बोर्ड आदर्शों और कहानी के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए एडिट करने के आदेश देता है। जिसके चलते कई बार सेंसर बोर्ड और फिल्म मेकर्स के बीच मतभेद देखने को मिलते हैं। आज बॉलीवुड का हर साल का टर्नओवर 12 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा का है और 1000 से ज्यादा फिल्में रिलीज होती हैं। इन सभी फिल्मों को सेंसर बोर्ड की सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अनुराग कश्यप से लेकर कई बड़े डायरेक्टर्स के सेंसर बोर्ड से उलझने वाली खबरें भी सुर्खियां बटोरती रही हैं। वर्तमान में प्रसून जोशी इसके चेयरमैन हैं।