Kanya Pujan 2025: अष्टमी या नवमी, कन्या पूजन के लिए कौन सी तिथि है शुभ? नोट कर लें सही डेट

Kanya Pujan 2025: अष्टमी या नवमी, कन्या पूजन के लिए कौन सी तिथि है शुभ? नोट कर लें सही डेट

कन्या पूजन 2025

Kanya Pujan Chaitra Navratri 2025: शक्ति उपासना का महापर्व चैत्र नवरात्रि चल रहा है. नवरात्रि के दौरान देवी के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म में छोटी कन्याओं को देवी दुर्गा का स्वरूप माना गया है, इसलिए अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. कुछ लोग अष्टमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं, तो कुछ लोग नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन कराते हैं. इस वजह से लोगों में अक्सर कंफ्यूजन बना रहता है आखिर कि कन्या पूजन के लिए कौन-सा दिन सबसे शुभ होता है. आइए आपको बताते हैं कि कन्या पूजन किस दिन करना चाहिए?

कन्या पूजन का शुभ दिन

धर्म शास्त्रों के अनुसार, चैत्र नवरात्रि में एक से 10 साल की कन्याओं के पूजन का विधान होता है. ऐसी मान्यता है कि हर उम्र की कन्या पूजन करने से अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है और उनका विभिन्न स्वरूपों में पूजन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कन्या पूजन के लिए दो तिथियां (अष्टमी और नवमी) निर्धारित की गई हैं.

चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन कब है?

चैत्र नवरात्रि हो या शारदीय नवरात्रि, इनमें कन्या पूजन अष्टमी या नवमी तिथि को किया जाता है. इस साल अष्टमी तिथि 5 अप्रैल को है और नवमी तिथि 6 अप्रैल को पड़ रही है. इसलिए आप इन दोनों में से किसी भी दिन कन्या पूजन कर सकते हैं.

नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए अष्टमी और नवमी तिथि दोनों को ही सर्वोत्तम माना गया है. ऐसा कहा जाता है कन्या पूजन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है. इस साल अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन, 6 अप्रैल को पड़ रही हैं. इसलिए 6 अप्रैल के दिन कन्या पूजन करना शुभ रहेगा.

कन्या पूजन 2025 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 6 अप्रैल को कन्या पूजन के लिए सबसे शुभ समय सुबह 7:54 मिनट से लेकर 10:30 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, दोपहर में 12:11 से 12:56 मिनट तक कन्या पूजन किया जा सकता है.

कन्या पूजन कैसे कराएं?

कन्या पूजन के दौरान देवी स्वरूप कन्याओं की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए. उन्हें भोग में हलवा, पूरी और दही जरूर अर्पित करें. कन्या पूजन के बाद कन्याओं को कोई गिफ्ट या दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लेकर विदा करें. मान्यता है कि ऐसा करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है.

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