नासा ने अंतरिक्ष में भेजा चूहा तो उसका क्या हाल हुआ? जानें रिसर्च की 5 बड़ी बातें

नासा ने अंतरिक्ष में भेजा चूहा तो उसका क्या हाल हुआ? जानें रिसर्च की 5 बड़ी बातें

अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा ने स्‍पेस स्‍टेशन में चूहों को भेजकर स्‍टडी की है.

अंतरिक्ष में लम्बा समय बिताने के बाद एस्ट्रोनॉट के शरीर पर क्या असर पड़ता है, इसके कई मामले सामने आ चुके हैं. हाल में करीब 9 महीने के बाद स्पेस स्टेशन से लौटीं सुनीता विलियम्स पर भी इसका असर हुआ है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए स्टडी की है.

अपनी एक रिसर्च के लिए नासा ने चूहे को अंतरिक्ष में भेजा. यह जानने की कोशिश की गई कि जीरो ग्रेविटी वाले स्पेस में चूहे की हड्डियों पर क्या असर पड़ता है. रिसर्च में कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं.

नासा ने हड्डियों पर ही रिसर्च क्यों की?

अंतरिक्ष की जीरो ग्रैविटी में शरीर के कई हिस्सों पर असर पड़ता है, लेकिन नासा यह जानना चाहता था कि इसका हड्डियों पर कितना असर पड़ता है. इसके लिए चूहे को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भेजा गया. रिसर्च में सामने आया कि चूहे की हड्डियां डैमेज हुईं. उनकी डेंसिटी घटी, लेकिन सभी हड्डियों की नहीं.

रिसर्च की 5 बड़ी बातें

  1. नासा की रिसर्च में सामने आया कि जीरो ग्रैविटी का सबसे ज्यादा असर चूहे की पैरों की हड्डी पर पड़ा. इसकी डेंसिटी घटी और ये कमजोर हुईं.
  2. रिसर्च की सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि पैरों की हड्डियां तो कमजोर हुईं लेकिन पीठ की हड्डियों में इसका असर नहीं दिखा. स्पाइन में बदलाव नहीं दिखे.
  3. नासा की स्टडी बताती है कि जीरो ग्रैविटी में हड्डियां समय से पहले बूढ़ी होने लगती हैं. इनमें प्रीमैच्योर एजिंग देखी गई है. अंतरिक्ष में पैरों की हड्डी पर नकारात्मक असर पड़ता है.
  4. नासा ने स्पेस स्टेशन में चूहे के लिए 3डी वायर सरफेस बनाया. सतह बनी ताकि वो उस पर चढ़ सकें. उसके पैरों के मूवमेंट और चढ़ने के तरीके से हड्डियों की ताकत और मजबूती को जानने की कोशिश की गई. वहीं, कुछ चूहों को पिंजरों में रखा गया.
  5. रिसर्च में सामने आया कि जो चूहे फिजिकल एक्टिविटी कर पा रहे थे उनकी हड्डियों में डैमेज कम हो रहा था. वहीं, जो पिंजरे में बंद थे उनकी हड्डियों में नकारात्मक असर ज्यादा दिखा.
Nasa Study On Rat

जो चूहे शरीर से सक्रिय रहे उनकी हड्डियों में डैमेज कम हुआ. फोटो: Pixabay

अंतरिक्ष में 10 गुना तेजी से डैमेज होती है हड्डियां

अंतरिक्ष में हड्डियों का क्षय ऑस्टियोपोरोसिस जैसा ही होता है, लेकिन यह पृथ्वी की तुलना में दस गुना अधिक तेजी से होता है. छह महीने के मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री अपनी हड्डियों की कुल डेंसिटी का 10% तक खो सकते हैं, जिससे फ्रैक्चर का जोखिम बढ़ जाता है. स्टडी के ये नतीजे नासा को अगले मिशन की तैयारी में मदद करेंगे.

स्टडी से कैसे फायदा मिलेगा?

अध्ययन से पुष्टि होती है कि अंतरिक्ष विकिरण के बजाय सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण इस गिरावट का मुख्य कारण है, क्योंकि रीढ़ की हड्डियों में कोई नुकसान नहीं हुआ. शोधकर्ताओं ने अंतरिक्ष यान पर बेहतर व्यायाम उपकरणों की आवश्यकता पर जोर दिया. इन प्रभावों को समझना भविष्य के मंगल मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है, जहां हड्डियों का क्षय चालक दल के सदस्यों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है. यही वजह है कि अगले मिशन में इससे सबक लिया जा सकता है.

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