News Just Abhi : (daughter’s property rights)। संपत्ति का बंटवारा एक तरह से परंपरा ही रही है। दो भाइयों या बहनों में एक समय पर माता-पिता की संपत्ति (son’s property rights) का बंटवारा होता ही है। यह सब आसानी से बिना विवाद के निपटता है तो ठीक है लेकिन इसमें पेंच फंसने पर मामला अधिक बिगड़ जाता है।
कुछ इसी तरह से भाई-बहन के प्रोपर्टी बंटवारे (property division rights) में पूरे मामले को सुलझा और उलझा सकता है बहन का पति यानी जीजा। इसलिए जब बहन के हिस्से की भी बात हो तो बहन (sister’s property rights) के साथ-साथ जीजा की सलाह व सहमति जरूरी होती है। बहन या जीजा की अनदेखी करना भाइयों को भारी पड़ सकता है। आइये जानते हैं इस बारे में संपत्ति बंटवारे को लेकर कानून क्या कहता है।
इसलिए जरूरी है बहन की सहमति-
भाई की तरह बहन का भी पिता व पैतृक संपत्ति में अधिकार (ancestral property rights) होता है। इसलिए उस प्रोपर्टी को बेचना है या बंटवारा करना है तो बहन की भी सहमति जरूरी होती है। बहन को अनदेखा करना भाई के लिए महंगा पड़ सकता है। बहन की शादी होने के बाद बहन अपने पति से बात करके भी फैसला ले सकती है।
इसलिए बहन का पति यानी जीजा प्रोपर्टी के मामले में बड़ा खेल कर सकता है। कानूनत तो जीजा का ऐसी संपत्ति (Property knowledge) में कोई हक नहीं होता और न ही वह हस्तक्षेप करने का अधिकार रखता, लेकिन पति होने के नाते पत्नी यानी बहन पर दबाव बनाकर वह मामले में पेंच भी अड़ा सकता है। इसलिए बहन व जीजा की सहमति जरूरी होती है।
वसीयत के आधार पर बंटवारा-
माता पिता की संपत्ति में बेटा-बेटी का अधिकार (son daughter property rights) समान रूप से होता है। अगर माता-पिता की मृत्यु हो जाती है और संपत्ति का बंटवारा (Property Dispute Cases) नहीं हुआ है तो वह संपत्ति भाई-बहनों में बराबर बंटती है। अगर इस संपत्ति की कोई वसीयत लिखी जा चुकी है तो फिर वसीयत के अनुसार बंटवारा होगा। माता-पिता के जिंदा होने पर स्वर्जित संपत्ति पर उनकी पूरी मर्जी होती है कि वह संपत्ति (Property Rights) किसे दें और किसे न दें। वह बेटा व बेटी में से इस संपत्ति को किसी को भी दे सकते हैं।
बहन मर्जी से छोड़ सकती है अपना हिस्सा-
कानून में पिता की संपत्ति में भाई-बहन का बराबर का हक होता है। इसके बावजूद कई बार संपत्ति का बंटवारा (Property Dispute Cases update)करते समय कई बार बेटी को उसके अधिकारों वंचित कर दिया जाता है। लेकिन कानून में बताए गए प्रावधान के अनुसार बेटी खुद अपनी मर्जी से संपत्ति के अधिकार को छोड़ना चाहे तो छोड़ सकती है, उससे जबरन अधिकार छीनने पर वह दावा कर सकती है।
कानूनी रूप से जानें प्रोपर्टी के अधिकार-
प्रोपर्टी के विवाद अधिकतर तब ज्यादा पेचीदा होते हैं जब प्रोपर्टी पैतृक हो। इस तरह की संपत्ति में कई सदस्यों का मिला जुला हक (Brother sister property rights) होता है। इसलिए बंटवारे व बेचने में सभी की सहमति जरूरी होती है। प्रोपर्टी के बंटवारे में विवाद से बचने के लिए कानूनी (Property laws) रूप से जानकारी होनी जरूरी है। अधिकतर विवाद कानूनी रूप से हक की जानकारी न होने के कारण भी होते हैं।
पैतृक संपत्ति में बंटवारे का प्रावधान –
इस तरह की प्रोपर्टी (property rights in law) से जुड़ा कोई विवाद शुरू में जब एसडीएम कोर्ट पहुंचता है तो वहां पर प्रोपर्टी के सरकारी रिकॉर्ड में जितने भी नाम दर्ज होते हैं, उनकी रजामंदी संपत्ति बंटवारे में जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर कोर्ट के फैसले (court decision in property cases) से बंटवारा निर्धारित किया जाता है। पारिवारिक या अपने स्तर पर आपसी सहमति से बंटवारा हो सकता है, मामला उलझने पर कोर्ट का सहारा लिया जा सकता है।