Agriculture tips: गेहूं के दानों में आएगी चमक, बढ़ जाएगा वजन, पानी डालने के बाद डाले यह तरल खाद, तेजी से होगा विकास, हरा-भरा हो जाएगा खेत ⁃⁃

गेहूं की फसल

गेहूं की फसल को अच्छा विकास देखने के लिए, पैदावार बढ़ाने के लिए सिंचाई के बाद किसान क्या तरल खाद डालें इसके बारे में जानते हैं-

गेहूं की फसल

रबी सीजन की गेहूं की फसल मुख्य फसल मानी जाती है। ज्यादातर किसान गेहूं की खेती कर रहे हैं। गेहूं की खेती किसान पारंपरिक तौर पर करते आ रहे हैं। लेकिन इसकी खेती में भी समय-समय पर नई-नई तकनीके आ जाती हैं। जिससे किसानों को अधिक उत्पादन मिलता है। गेहूं की खेती में फायदा तभी होता है किसानों को जब उत्पादन अधिक मिलता है। गेहूं की सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी करती हैं। इसीलिए किसान भी बढ़िया से गेहूं की खेती करते हैं।

जिसमें आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि जो किसान अब गेहूं की दूसरी सिंचाई करने जा रहे हैं। तो सिंचाई की बाद ऐसा क्या डाल दें कि गेहूं की फसल का विकास तेजी से हो और दोनों की गुणवत्ता भी बेहतर हो।

सिंचाई के बाद डाले यह दो चीजे

नीचे लिखे 2 बिंदुओं के अनुसार किसान जाने की सिंचाई के बाद क्या डालने से फसल बेहतर होगी-

  • गेहूं की खेती करने वाले वह किसान जो की शुरुआत में ही गेंहू की बुवाई की थी, यानी कि अगेती खेती की थी। वह अब दूसरी सिंचाई कर रहे होंगे। जिसमें जिन किसानों ने सिंचाई कर ली है तो सिंचाई के बाद देखे की खेत की मिट्टी कैसी है। अगर पैर दबाने पर टिक रहे हैं तब एनपीके 18:18:18 का छिड़काव करें। इससे फसल हरी भरी नजर आएगी। मात्रा की बात करे तो 1 किलो लिक्विड एनपीके का इस्तेमाल करते हैं तो 120 लीटर पानी मिलाये और फसल में छिड़काव करें। जी हां तरल खाद का इस्तेमाल करना आसान होता है और यह पत्तियों पर छिडकी जाती है। जिससे फायदा जल्दी दिखता है।
  • इसके बाद जिस दूसरी चीज की हम बात कर रहे हैं, वह पोटाश है। तो किसान 00:00:52 का छिड़काव कर सकते हैं। इससे गेहूं के दानों की गुणवत्ता बढ़िया होगी। गेंहू चमकदार होंगे और उनका वजन भी अधिक होगा। जिसके लिए मात्रा की बात करें तो 1 किलो पोटाश को डेढ़ सौ लीटर पानी में मिलाकर छिड़क सकते हैं। जैसे गेहूं की फसल बेहतर होगी। किसानों को अधिक कीमत मिलेगी।

नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी (Agriculture tips) किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।