
2 हनुमान जयंती क्यों मनाते हैं?
भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है, क्योंकि वे व्यक्ति के सभी दुख-दर्द दूर करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जी इकलौते ऐसे देवता हैं, जो कलयुग में आज भी पृथ्वी पर वास करते हैं और अपने भक्तों की संकटों से रक्षा करते हैं.
हनुमान जयंती का दिन भी विशेष महत्व रखता है. लेकिन हनुमान जयंती साल में एक बार नहीं, बल्कि दो बार मनाई जाती है. कुछ लोगों को पता भी होगा कि साल में दो बार हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर हम 2 हनुमान जयंती क्यों मनाते हैं? अगर नहीं, तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं कि हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है.
हनुमान जयंती 2025 कब है?
इस साल चैत्र पूर्णिमा 12 अप्रैल को पड़ रही है. पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा तिथि 12 अप्रैल को तड़के 3:20 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इसका समापन 13 अप्रैल को सुबह 5:52 मिनट पर होगा. ऐसे में हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को मनाया जाएगा.
हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है?
हनुमान जयंती साल में दो बार, एक चैत्र पूर्णिमा (जन्मदिवस) और दूसरी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी (विजय अभिनन्दन महोत्सव) पर मनाई जाती है, क्योंकि एक कथा हनुमान जी के जन्म से जुड़ी है, तो दूसरी उनके मूर्छित होने के बाद दोबारा जीवन मिलने से जुड़ी है.
वाल्मीकि रामयाण के अनुसार, हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर स्वाति नक्षत्र में हुआ था. इसलिए इस दिन को हनुमान जी के प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है. वहीं, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी के विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती क्यों मनाते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा पर हुआ था और इसी दिन को उनके जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है.
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर हनुमान जयंती क्यों मनाते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर माता सीता ने हनुमान जी को अमरता का वरदान दिया था, इसलिए इस दिन भी हनुमान जयंती मनाई जाती है.
हनुमान जयंती की पहली कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हनुमान जी को बहुत तेज भूख लग रही थी, तो वे सूर्य को फल समझकर उसे खाने के लिए दौड़ने लगे. देवराज इंद्र ने हनुमान जी को रोकने के प्रयास में प्रहार कर दिया था, जिससे वे बेहोश हो गए. हनुमान जी को पवनपुत्र भी कहा जता है. ऐसे में देवराज इंद्र की इस हरकत देखकर पवन देव क्रोधित हुए और उन्होंने हवा रोक दी. इससे पूरे ब्रह्मांड में संकट की स्थिति बन गई. जिस दिन हनुमान जी को दूसरा जीवन मिला, उस दिन चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि थी, इसलिए यह दिन हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है.
हनुमान जयंती की दूसरी कथा
एक अन्य कथा के अनुसार, एक बार हनुमान जी की भक्ति और समर्पण को देखकर माता सीता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था. जिस दिन हनुमान जी को यह वरदान मिला था, उस दिन कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि यानी नरक चतुर्दशी तिथि थी. इसलिए इस दिन को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है.