
पटना: बिहार में बाप-दादा की जमीन पाने के लिए कई कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है। इसे लेकर कुछ जरूरी कागजात होते हैं जिन्हें एकत्रित करना और सही तरीके से प्रस्तुत करना अनिवार्य है।यदि आप अपने पुश्तैनी जमीन पर अपना अधिकार प्राप्त करना चाहते हैं, तो इन 8 जरूरी बातों और कागजात को जानना जरूरी है।
1 .लगान रसीद की छायाप्रति:
यह रसीद संबंधित मौजा (गांव) के राजस्व कर्मी द्वारा जारी की जाती है। इस रसीद में भूमि के उपयोग और सरकार को भुगतान किए गए मालगुजारी का विवरण होता है। यह साबित करता है कि भूमि का नियमित रूप से उपयोग किया जा रहा है और मालगुजारी सरकारी खजाने में जमा की जा रही है।
2 .भूमि से संबंधित दस्तावेज (केवाला, खतियान आदि):
केवाला यह भूमि की खरीद-फरोख्त से संबंधित दस्तावेज है, जिसे रजिस्ट्री कार्यालय से जारी किया जाता है। खतियान यह राजस्व विभाग द्वारा भूमि के स्वामित्व का प्रमाण होता है। इसमें भूमि के मालिक का नाम और उसकी स्थिति दर्ज होती है।
3 .वंशावली:
यह एक दस्तावेज होता है जिसमें भूमि मालिक के वारिसों की सूची होती है, जैसे पुत्र, पुत्री, पोता, पोती आदि। वंशावली से यह प्रमाणित होता है कि जमीन के स्वामी के परिवार के कौन सदस्य इसके वारिस हैं।
4 .आधार कार्ड:
सभी हिस्सेदारों का आधार कार्ड अनिवार्य होता है। इससे जमीन के सभी हिस्सेदारों की पहचान प्रमाणित की जाती है और यह कागजात में उनके नाम की सही पहचान सुनिश्चित करता है।
5 .जमाबंदी रैयत का मृत्यु प्रमाण पत्र:
यदि जमीन के वैध धारक (रैयत) की मृत्यु हो गई है, तो उनके वारिसों को मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। यह प्रमाण पत्र यह साबित करता है कि कौन से व्यक्ति अब भूमि के वैध वारिस हैं।
6 .100 रुपये के स्टांप पर बंटवारा शेड्यूल:
बंटवारे की स्थिति में, 100 रुपये के स्टांप पेपर पर भूमि के बंटवारे का विवरण लिखा जाता है। यह शेड्यूल रजिस्ट्री कार्यालय से प्राप्त किया जाता है और इसमें यह बताया जाता है कि भूमि का बंटवारा किस प्रकार हुआ है और किस हिस्सेदार को कितनी भूमि मिली है।
7 .सभी हिस्सेदारों की सहमति:
यदि जमीन का बंटवारा हो रहा है, तो सभी हिस्सेदारों की लिखित सहमति जरूरी होती है। यह सहमति साबित करती है कि सभी संबंधित व्यक्ति बंटवारे के बारे में सहमत हैं और उनके बीच कोई विवाद नहीं है।
8 .SDM कार्यालय से जारी शपथ पत्र:
सभी हिस्सेदारों को SDM (सूबे के उप-मंडल अधिकारी) कार्यालय से शपथ पत्र लेना होगा, जिसमें यह स्पष्ट किया जाता है कि सभी जमीन के हिस्सेदार कानूनी रूप से जमीन के बंटवारे को स्वीकार करते हैं और कोई कानूनी विवाद नहीं है।