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सिरसा के नाथूसरी चौपटा एरिया में शुक्रवार आंधी तूफान के साथ बारिश और ओलावृष्टि हुई।इससे नाथूसरी चौपटा अनाज मंडी में हजारों टन गेहूं व सरसों की ढेरियां भीग गई। ये खबर आप जस्ट अभी न्यूज़ में पढ़ रहे हैं। इसी के साथ ही चौपटा के अधिकतर इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के खंभों के साथ अनेक स्थानों पर पेड़ भी टूट गए।इससे अभी तक कई गांवों की बिजली व्यवस्था ठप पड़ी हुई है। ।
नहीं देखे प्रबंध
नाथूसरी चौपटा अनाज मंडी एक ही शेड बना हुआ है। गेहूं व सरसों की कटाई कढ़ाई का सीजन चल रहा है। ऐसे में किसान खेतों से उपज निकालने के बाद अनाज मंडी में लेकर आ रहे हैं। अनाज मंडी में बरसात से उपज को बचाने के लिए कोई भी उचित प्रबंध नहीं किए गये हैं। इससे शुक्रवार को जैसे ही दोपहर को बरसात हुई। किसानों द्वारा डाली गई सरसो व गेहूं की उपज बरसात के पानी से भीग गई। किसान राममुर्ति, जगदीश बैनीवाल, नरेंद्र कुमार ने बताया कि अनाज मंडी में बरसात से उपज को बचाने के लिए कोई भी प्रबंध नहीं किए गये है। यहां पर मौसम खराब देखते हुए प्लास्टिक व तिरपाल की व्यवस्था की जानी चाहिए। प्लास्टिक व तिरपाल की व्यवस्था नहीं होने से ही किसानों की गेहूं व सरसों भीग गई। अब इसमें नमी की मात्रा ज्यादा होने से काफी समय सुखाने में लग जाएगा।
नाथूसरी चोपटा अनाज मंडी में 22000 क्विंटल गेहूं भीगा
चोपटा क्षेत्र में बेमौसमी आंधी, बारिश व ओलावृष्टि से जहां एक और खेतों में खड़ी गेहूं की फसल को आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से नुकसान हुआ है वही की कागदाना, नाथूसरी चौपटा, कुत्तियाना व शक्कर मंदोरी की मंडियों व खरीद केंद्रों पर हजारों क्विंटल खुले आसमान के नीचे पड़ा गेहूं बारिश में भीग गया । नाथुसरी चोपटा अनाज मंडी में अब तक 22000 क्विंटल गेहूं की आवक हुई है और उठान अभी शुरू नहीं हुआ है ।खुले आसमान के नीचे पड़ा गेहूं पूरी तरह से भी गया है। आढतियां द्वारा ना तो तिरपाल की व्यवस्था की गई और ना ही वुडन कैरेट की व्यवस्था की गई। जमीन पर गेहूं पानी में तैरने लगा। मार्केट कमेटी अधिकारियों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मंडियों व खरीद केंद्रों में किसान की गेहूं लाने के बाद गेहूं को बचाने की जिम्मेदारी आढ़तियों की होती है आढ़तियों को ही तिरपाल और कैरेट की व्यवस्था करनी होती है लेकिन क्षेत्र में कहीं भी ऐसी व्यवस्था नजर नहीं आ रही। जिससे कि गेहूं खराब होने लगी है अभी भी आसमान साफ नहीं हुआ है धीमा उठान और आढ़तियों की लापरवाही से खाद्यान्न को काफी नुकसान हो रहा है।
नाथूसरी चौपटा अनाज मंडी में, कागदाना खरीद केंद्र में भी गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा है और बारिश होने से गेहूं को भीगने से नहीं बचाया जा सका है । कुत्तियाना खरीद केंद्र में भी गेहूं खुले आसमान के नीचे बारिश में भीग गया। उधर कुम्हारिया, कागदाना, गिगोरानी, रामपुरा ढिल्लों , जमाल , कुतियाना, रुपावास, नाथूसरी कलां, जोडकिया, खेड़ी, गुसाईं आना सहित कई गांवों में शुक्रवार दोपहर को आई तेज आंधी, बारिश और ओलावृष्टि से खेतों में गेहूं और तूड़ी को नुकसान हुआ है। पशुओं के लिए चारे की कमी होने का संकट भी गहरा सकता है। किसानों ने बताया कि गेहूं की कटाई तो कर ली है अब कढ़ाई का कार्य चल रहा है ऐसे में अगर मौसम साफ रहे तो गेहूं तो मंडियों में पहुंचाया जा सकता है और पशुओं के लिए सूखा चारा एकत्रित कर लिया जाएगा। लेकिन आंधी से खेतों में पड़ा सूखा चारा उड़ गया किसान रामकुमार, महेंद्र सिंह , जगदीश इत्यादि ने बताया कि सरकार और प्रकृति दोनों ही किसान की दुश्मन बनी हुई है।
वर्जन
नाथुसरी चोपटा अनाज मंडी में अभी तक 22000 क्विंटल गेहूं की आवक हुई है और उठान शुरू नहीं हुआ है, वहीं सरसों की भी 6000 क्विंटल आवक हुई है। बारिश से गेहूं भीगा है। किसान का गेहूं मंडी में पहुंचने के बाद उसको बचाने की जिम्मेदारी आढ़तियों की होती है। यह लाइसेंस देते समय तय किया जाता है कि बारिश से बचाने के लिए तिरपाल व वुडन कैरेट का प्रबंध आढतीयों को ही करना होगा । अगर ज्यादा बारिश होती है तो यह व्यवस्था लागू करवाई जाएगी।— प्रमोद कुमार ओक्शन रिकॉर्डर
चोपटा खंड में इस बार किसानों ने 38000 हेक्टेयर में गेहूं, 23000 हेक्टेयर में सरसों, 2050 हेक्टेयर में चना व 1200 हेक्टेयर में जौ, चारा व अन्य फसलों की बिजाई की है।