News Just Abhi, Digital Desk- (Delhi High Court) भारतीय संस्कृति में बच्चों को माता-पिता के प्रति आदर और संवेदनशीलता सिखाई जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में माता-पिता को अपने ही बेटों या बेटियों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है, जो सामाजिक चिंता का विषय है। न्यायालयों में ऐसे मामलों की सुनवाई होती है। अनुकूल संबंध और वित्तीय मुद्दों पर सहमति से परिवार में सामंजस्य बना रहता है।
लेकिन कई बार ऐसा होता है कि सबकुछ सही होने के बाद भी परिस्थितियां सही नहीं होती और माता-पिता अपने बच्चों को घर से निकाल देते हैं या यूं कहें कि प्रॉपर्टी से बेदखल कर देते हैं। लेकिन क्या कानून घरवालों को यह अधिकार देता है कि वह अपने बच्चों को घर से बाहर निकाल दें या फिर प्रॉपर्टी से बेदखल (evicted from property) कर दें? आज हम आपको इसके बारे में जानकारी देंगे।
बच्चों के व्यस्क होने के बाद यह पैरेंट्स पर निर्भर करता है कि वह उन्हें साथ रखना चाहते हैं या नहीं। 2016 में दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक जजमेंट में कहा था ‘एक बेटा, जिसकी शादी हो जाती है उसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि वह अभिभावकों के साथ रहे। वह उनके साथ तभी रह सकता है जब अभिभावक ऐसा चाहे।’
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) और अन्य भारतीय अदालतों ने यह निर्णय दिया है कि यदि संतानें अपने माता-पिता के प्रति दुर्व्यवहार करती हैं, तो माता-पिता उन्हें घर से निकालने का अधिकार रखते हैं। विशेष रूप से, 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था, जिसमें कहा गया कि माता-पिता दुर्व्यवहार करने वाले बच्चों को किसी भी प्रकार की संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। यह संपत्ति स्व-अर्जित, पैतृक या किराए की हो सकती है। न्यायालय का यह आदेश ‘मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन (senior citizen) एक्ट 2007’ के नियमों में सुधार के रूप में आया, जिसने पहले केवल स्व-अर्जित संपत्ति के संदर्भ में बेदखली की अनुमति दी थी। इस फैसले ने माता-पिता के अधिकारों को मजबूती प्रदान की है।
बेदखल किए जा चुके बच्चों का प्रॉपर्टी पर कानूनी अधिकार-
अगर पैरेंट्स बच्चों को घर से निकाल देते हैं तो भारत में ऐसा कोई कानून नहीं कि उन्हें अस्वीकार किया हुआ माना जाए।अगर पैरेंट्स के पास स्व-अर्जित संपत्ति (self-acquired property) है तो वह अपने बच्चों को इससे भी बेदखल कर सकते हैं लेकिन अगर माता-पिता के पास मौजूद संपत्ति पैतृक है तो वह उससे बच्चों को बेदखल नहीं कर सकते।हालांकि अगर माता-पिता की मृत्यू हो जाती है तो यह संपत्ति कानूनी उत्तराधिकारियों के पास जाएगी।मतलब साफ है कि अगर किसी बच्चे के अपने माता-पिता से संबंध बेहतर नहीं थे और माता-पिता की मौत हो जाती है तो प्रॉपर्टी पर उसका सीधा हक होगा। ये खबर आप जस्ट अभी न्यूज़ में पढ़ रहे हैं। ।
बेदखल करने का क्या है तरीका-
पैरेंट्स अपनी शिकायतें एप्लिकेशन के माध्यम से डिप्टी कमिशनर और जिला अधिकारी को दुर्व्यवहार करने वाले बच्चों के बारे में भेज सकते हैं। हालांकि, दिल्ली (Delhi) में यह जानकारी सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (Sub-Divisional Magistrate) को दी जाएगी। एप्लिकेशन प्राप्त होने के 21 दिनों के भीतर अंतिम निर्णय दिया जाएगा। यदि नोटिस दिए जाने के 30 दिन बाद भी प्रॉपर्टी को खाली नहीं किया जाता, तो कानूनी तरीके से इसे बलात्कारी तौर पर खाली करवाया जा सकता है।