
क्या होते हैं पर्पल ऑफिसर?Image Credit source: Getty Images
हमें अलग-अलग सेनाओं में जवानों और अफसरों के अलग-अलग रैंक (पद) के बारे में तो पता ही है पर अब एक नए तरह के अफसर सेनाओं में शामिल किए गए हैं. इन्हें पर्पल ऑफिसर कहा जाता है और इनके पहले बैच की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है. इसमें तीनों सेनाओं के 40 ऑफिसर शामिल हैं, जिनमें सेना के 20, नौसेना के 10 और वायु सेना के 10 ऑफिसर हैं. इनके अलावा ट्रेनिंग पूरी करने वालों में विदेशी पर्पल अफसर भी हैं. अब सवाल खड़ा होता है कि पर्पल ऑफिसर होते क्या हैं? इनका काम क्या है और इनकी शुरुआत कैसे हुई? आइए जानने की कोशिश करते हैं.
सेनाओं के संयुक्त अभियानों के लिए होते हैं प्रशिक्षित
दरअसल, पर्पल ऑफिसर ऐसे ऑफिसर होते हैं जो तीनों सेनाओं के संयुक्त अभियानों के लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं. इसके लिए तीनों सेनाओं के अफसरों को चुना जाता है और इस तरह से ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे कम से कम किन्हीं दो सेनाओं के संयुक्त अभ्यास या फिर तीनों सेनाओं के संयुक्त अभ्यास में हिस्सा ले सकें और जरूरत के वक्त अभियान को कार्यान्वित कर सकें. इनका काम मुख्य रूप से तीनों सेनाओं के बीच अंतर सेवा समन्वय (इंटीग्रेटेड सर्विस कोऑर्डनेशन) स्थापित कर सकें.
आसान भाषा में कहें तो पर्पल ऑफिसर ऐसे ऑफिसर होते हैं, जिन्हें इस तरह से प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे वे कम से कम दो सेनाओं के अफसर के रूप में काम कर सकें या फिर जिन्हें कम से कम दो या फिर तीनों सेनाओं का काम आता हो.
इसलिए की जा रही है तैयारी
दरअसल, भारतीय सशस्त्र बलों या तीनों भारतीय सेनाओं को मिला कर एकीकृत थिएटर कमांड (इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड) बनाने की योजना है. इसके लिए सेनाओं द्वारा मसौदे को अंतिम रूप दिया जा रहा है. यह रक्षा सुधार कार्यक्रम का ही एक हिस्सा है और साल 2025 को रक्षा सुधार साल घोषित किया गया है. वास्तव में भारत की तीनों सेनाएं थल, जल और वायु सेना फिलहाल अपनी-अपनी अलग-अलग कमांड के जरिए संचालित होती हैं. थिएटर कमांड बनने के बाद तीनों सेनाओं के जवानों-अफसरों को एक ही कमांड के अधीन रखा जाएगा. यानी तीनों सेनाएं एक संयुक्त कमांड के अधीन परिचालन करेंगी.
साल 2019 में हुई थी शुरुआत
यह साल 1999 की बात है. कारगिल युद्ध के बाद एक समीक्षा समिति बनाई गई थी. इसके अलावा कई अन्य समितियां भी बनी थीं. इन्होंने अनुशंसा की थी कि भविष्य में सामने आने वाली सैन्य चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेनाओं मिलाकर को इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाने के बारे में विचार करना चाहिए. इसके बाद तीनों सेनाओं के एकीकरण के लिए या कहें कि एंटीग्रेटेड कमांड बनाने की शुरुआत साल 2019 में भारत सरकार ने की थी. तब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) का पद बनाया गया था. जनरल बिपिन रावत को पहला सीडीएस बनाया गया था, जो तमिलनाडु में हुए एक हेलीकॉप्टर हादसे में साल 2021 में शहीद हो गए थे.
नए सीडीएस की नियुक्ति के बाद तेज हुई रफ्तार
इसके बाद सीडीएस का पद कई महीने खाली रहा और इंटीग्रेटेड कमांड बनाने की रफ्तार भी थम गई. सितंबर 2022 में नए सीडीएस जनरल अनिल चौहान की नियुक्ति की गई. ऐसा माना जा रहा है कि उनकी नियुक्त के बाद एक बार फिर से गंभीरता से एकीकृत कमांड बनाने की योजना पर काम शुरू हुआ. इसीलिए केंद्र सरकार मार्च 2023 में संसद में इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशंस (कमांड, कंट्रोल एंड डिसिप्लिन) बिल-2023 पेश कर चुकी है. साथ ही तीनों सेनाओं के अफसरों में मिलकर काम करने की भावना जगाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के अफसरों को क्रॉस सर्विस (एक सेना से दूसरी सेना में पोस्टिंग) पोस्टिंग भी शुरू की गई है.
40 पर्पल ऑफिसर तैयार किए गए
इसी कड़ी में अब तीनों सेनाओं के अफसरों को मिलाकर पर्पल ऑफिसर तैयार किए जाने की शुरुआत हुई है. 40 पर्पल ऑफिसर के पहले बैच ने तमिलनाडु में स्थित नीलगिरी जिले के वेलिंगटन में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज) से ग्रेजुएशन की उपाधि हासिल कर ली है. इन पर्पल ऑफिसर्स की टीम में तीनाओं सेनाओं के उच्च अधिकारियों को शामिल किया गया है, जो सेना की कम से कम दो शाखाओं की ताकत को जोड़ कर संयुक्तता में विशेष रूप से प्रशिक्षित किए गए हैं. इस प्रशिक्षण में अमेरिका, यूके, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के चार विदेशी अफसरों ने भी हिस्सा लिया और भारतीय अफसरों को प्रशिक्षित करने के लिए संयुक्त अभियानों के दौरान के अपने अनुभवों को साझा किया.
फिलहाल पारंपरिक रूप से करेंगे कामकाज
अपने प्रशिक्षण के दौरान इन 40 पर्पल ऑफिसर ने अधिकारियों ने ज्वाइंट अंडमान और निकोबार कमांड, नई दिल्ली स्थित इंटीग्रेटेड रक्षा स्टाफ (आईडीएस) सहित अन्य प्रमुख रक्षा प्रतिष्ठानों का भ्रमण किया. समुद्री नियंत्रण केंद्र में भी रहे, जहां उनको संयुक्त अभियान से संबंधित रसद, खुफिया और साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी जानकारी दी गई. हालांकि, इस प्रशिक्षण के बावजूद ये पर्पल ऑफिसर अभी पारंपरिक कमांड में ही नियुक्त किए जाएंगे, क्योंकि वर्तमान में भारत के पास केवल अंडमान और निकोबार कमांड ही संयुक्त सेवा कमांड है.
इतनी थिएटर कमांड की योजना
भविष्य में सामने आने वाली चुनौतियों को देखते हुए तीन इंटीग्रेटेड या थिएटर कमांड की स्थापना हो सकती है. इसमें एक जयपुर में हो सकती है. यह पश्चिमी थिएटर कमांड पाकिस्तान का मुकाबला करने के लिए गठित की जाएगी. वहीं, चीन का सामना करने के लिए लखनऊ में उत्तरी थिएटर कमांड के गठन की योजना है. वहीं, हिन्द महासागर क्षेत्र से पैदा होने वाले खतरों से निपटने के लिए एक समुद्री थिएटर कमांड भी होगी, जिसका हेडक्वार्टर कोयंबटूर, कारवार या तिरुवनंतपुरम हो सकता है. वर्तमान अंडमान एंड निकोबार इंटीग्रेटेड कमांड को इसी समुद्री थिएटर कमांड का हिस्सा बनाया जा सकता है.
साथ ही एक संयुक्त रसद कमांड होगी, जो सप्लाई की जरूरतों पर नजर रखेगी. एक अंतरिक्ष कमांड होगी, जो अंतरिक्ष के जरिए आ रहे खतरों का सामना करेगा और एक ट्रेनिंग कमांड की भी योजना है, जिसके जरिए अफसरों और जवानों को प्रशिक्षित किया जाएगा.
पर्पल ऑफिसर मिलकर करेंगे चुनौतियों का सामना
पर्पल ऑफिसर किस तरह से काम करेंगे, इसका अंदाजा इन अफसरों के कनवोकेशन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दिए गए भाषण से लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मानव रहित प्रणाली और ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी टेक्नोलॉजी के कारण युद्ध के तरीके बदल रहे हैं. ऐसे में अब जो युद्ध होगा वह पारंपरिक रूप से जमीन, सागर और हवाई क्षेत्रों से आगे तक फैला होगा. इससे निपटने के लिए सुरक्षा बलों को साइबर, स्पेस और इनफॉर्मेशन के जरिए लड़ना होगा. इसलिए हमें अपने रक्षा बलों में बदलाव कर उन्हें हर क्षेत्र में सक्षम बनाकर मुकाबला करना होगा. यानी हम कह सकते हैं कि भविष्य में थिएटर कमांड में तैनात हर सैनिक और जवान हर तरह की लड़ाईमेंसक्षमहोगा.