News Just Abhi, Digital Desk- (Delhi High Court) दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सास-ससुर की चल-अचल संपत्ति (Movable and immovable property of parents-in-law) में बहू का कोई अधिकार नहीं होता, चाहे वह पैतृक हो या व्यक्तिगत रूप से अर्जित। अदालत ने एक महिला को ससुर का घर खाली करने का जिलाधिकारी का आदेश बरकरार रखते हुए इस पर स्पष्ट किया है।
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वी. कामेश्वर राव की बैंच ने अपने फैसले में कहा है कि ऐसी किसी भी चल-अचल, मूर्त-अमूर्त या ऐसी किसी भी संपत्ति (property) जिनमें सास-ससुर का हित जुड़ा हुआ है, उस पर बहू का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि यह कोई मायने नहीं रखता है कि संपत्ति पर सास-ससुर का मालिकाना हक कैसा है।
हाईकोर्ट (High court) ने यह टिप्पणी करते हुए जिलाधिकारी और एकल पीठ के फैसले के खिलाफ महिला की अपील को खारिज करते हुए की है। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । हाईकोर्ट ने एकल पीठ ने जिलाधिकारी द्वारा महिला को ससुर का घर खाली करने के आदेश को इसी साल जुलाई में बरकरार रखा था।
हाईकोर्ट ने वरिष्ठ नागरिकों (senior citizen) के कल्याण के लिए बनाए नियमों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्हें अपने घर में शांति से रहने का अधिकार है। बेंच ने स्पष्ट किया कि सास-ससुर अपने घर से न केवल बेटे-बेटी, बल्कि बहू को भी बाहर निकालने का अधिकार रखते हैं।