भडके जनरल बोलेः सुप्रीम कोर्ट के जज अब दिल्ली से निकलकर पहलगाम जाए, फिर पता चलेगा…

The angry general said: Supreme Court judges should now leave Delhi and go to Pahalgam, then we will know...The angry general said: Supreme Court judges should now leave Delhi and go to Pahalgam, then we will know...

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिसमें पर्यटक और स्थानीय लोग शामिल हैं। इस जघन्य कृत्य के बाद देश भर में आक्रोश की लहर दौड़ गई है और केंद्र सरकार ने जवाबी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। इसी बीच भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल डी. पी. पांडे का एक सख्त और तीखा बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि इसके जजों को पहलगाम जाकर आतंकवाद की सच्चाई को अपनी आंखों से देखना चाहिए।

आतंकवाद की हकीकत से रूबरू हों जज: पांडे
ANI पॉडकास्ट में स्मिता प्रकाश से बातचीत के दौरान जनरल पांडे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में कई बार हस्तक्षेप किया है, जिससे सरकार और सेना के निर्णयों में देरी हुई। उनके अनुसार, इस प्रकार की न्यायिक दखलंदाजी आतंकवाद से लड़ने की क्षमता को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि जजों को चाहिए कि वे कश्मीर जाकर देखें कि सुरक्षा बल किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं और आतंकवाद का जमीन पर क्या प्रभाव है। पांडे ने कहा, “कश्मीर कोई कोर्ट रूम नहीं है जहाँ तर्कों और नियमों से ही सबकुछ तय हो। वहाँ हर क्षण जान का जोखिम है। वहाँ जाकर देखें कि आतंकवादियों की क्रूरता किस हद तक पहुँच गई है। तभी जाकर वे देश की सुरक्षा नीतियों को समझ पाएंगे।”

कोर्ट के हस्तक्षेप से हुई देरी
जनरल पांडे ने यह आरोप भी लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार उन फैसलों को रोका या विलंबित किया, जो सीधे तौर पर आतंकवाद से लड़ने के लिए आवश्यक थे। उनका मानना है कि सरकार और सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में खुलकर और स्वतंत्रता से निर्णय लेने की अनुमति होनी चाहिए। “यह समय आतंकवाद को खत्म करने के लिए एकजुट होने का है, न कि राजनीतिक या कानूनी उलझनों में फँसने का,” उन्होंने कहा।

शांति की नींव को हिलाकर रख दिया
डीपी पांडे ने हमले पर बात करते हुए कहा कि ‘कश्मीर एक ऐसा क्षेत्र है, जहां दशकों से अशांति और हिंसा की छाया रही है। हाल के सालों में जब वहां सब नॉर्मल होने लगा, तो कुछ शक्तियां ऐसी निकल आईं, जो कहती हैं कि शांति तुम्हारे लिए नहीं है। जितना तुम शांति मनाओगे, उतना हम मारेंगे।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘यह हमला एक ऐसा मेसेज है, जो न केवल डराता है, बल्कि शांति की नींव को हिला कर देता है।

‘सरकार कुछ नहीं कर पाई’
डीपी पांडे आगे कहते हैं कि 5-6 महीने बाद कोई इस पर बोलेगा कि ‘लोगों को मार दिया और सरकार कुछ नहीं कर पाई।’ उन्होंने कहा कि कुछ लोग सैन्य कार्रवाई को राजनीतिक फायदा के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि ‘इस सोच से यह सवाल उठता है, क्या हम शांति को स्थायी बनाना चाहते हैं या उसे एक प्रचार का औजार बना रहे हैं?

बिहार पर लगाते इतना पैसा
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने कश्मीर के विकास के लिए खर्च पर भी बात की। उन्होंने कहा कि कश्मीर आज जो है, उसके लिए सरकार ने बहुत खर्च किया है। वहां के लोगों के लिए एजुकेशन और हेल्थ फैसिलिटी दी गईं। उन्होंने कहा कि इतना पैसा अगर बिहार पर लगाया जाता, तो आज वो स्टेट कहां से कहां पहुंच गया होता।

पाकिस्तान की साजिश और कश्मीर की शांति पर हमला
पांडे ने सीधे तौर पर पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI को इस हमले का दोषी बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बार-बार कश्मीर की शांति को भंग करने की कोशिश कर रहा है और यह हमला उसी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर पाकिस्तान का मकसद कश्मीर में टूरिज्म को नुकसान पहुंचाना और भय का वातावरण बनाना है।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस आतंकी हमले को गंभीरता से लेते हुए पाकिस्तान के खिलाफ पांच कड़े कदम उठाए हैं। इनमें सिंधु जल संधि की समीक्षा और उसे आंशिक रूप से रोकने का निर्णय शामिल है। इसके अतिरिक्त, सीमा पर सुरक्षा बलों को और अधिक अधिकार दिए गए हैं तथा आतंकवादियों के नेटवर्क को खत्म करने के लिए विशेष अभियान की शुरुआत हो चुकी है। केंद्र सरकार का स्पष्ट संकेत है कि अब कोई नरमी नहीं बरती जाएगी और हर आतंकी कार्रवाई का माकूल जवाब दिया जाएगा।

सर्वदलीय बैठक बुलाई गई
इस संवेदनशील मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों को एकजुट करने के लिए केंद्र सरकार ने 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इसमें सभी प्रमुख दलों के नेता भाग लेंगे और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सर्वदलीय बैठक का उद्देश्य आतंकवाद से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता दिखाना और विभिन्न विचारों को शामिल कर कारगर योजना बनाना है।

सुरक्षा बलों को मिली नई जिम्मेदारी
हमले के बाद केंद्र सरकार ने विशेष बलों को कश्मीर घाटी में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का निर्देश दिया है। नये सिरे से तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है और विशेष खुफिया टीमें सीमावर्ती इलाकों में तैनात की गई हैं। सरकार का मानना है कि आतंकवादी किसी भी सख्त कार्रवाई से तभी डरेंगे जब उन्हें लगेगा कि भारत अब सिर्फ निंदा तक सीमित नहीं रहेगा।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और देशव्यापी आक्रोश
हमले के बाद देशभर में राजनीतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश यात्रा बीच में छोड़कर भारत लौटते ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ बैठक की और त्वरित कदम उठाने का आदेश दिया। विपक्ष ने भी सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है, लेकिन साथ ही राष्ट्रीय एकता की बात भी कही है।

अब निर्णय का समय
पहाड़ों में बसे इस खूबसूरत पर्यटन स्थल पर हुए इस भयावह हमले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद का कोई धर्म या इंसानियत नहीं होती। लेफ्टिनेंट जनरल डी. पी. पांडे का बयान भले ही तीखा हो, लेकिन वह देश की सुरक्षा व्यवस्था के प्रति चिंता और दर्द का प्रतिबिंब है। अब यह समय है कि राजनीतिक, कानूनी और प्रशासनिक संस्थाएं मिलकर एक साझा रणनीति बनाएं, जिससे देश की जनता और जवान दोनों सुरक्षित रहें। इस आतंकी हमले ने केवल 26 जिंदगियां नहीं लीं, बल्कि देश की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है। अब पूरे देश को यह दिखाना होगा कि हम एक हैं, और आतंकवाद को उसकी जड़ से खत्म करने के लिए तैयार हैं।

कैसे निकलेगा समाधान?
जब उनसे पूछा गया कि ‘क्या हमें हमला करना चाहिए, सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए? तो इस पर उन्होंने कहा कि ‘इस तरह की बातें केवल आक्रोश नहीं, बल्कि एक मानसिकता को दर्शाती हैं।’ यह मानसिकता मानती है कि हथियार ही समाधान हैं, जबकि इतिहास ने दिखाया है कि बातचीत और समझदारी से भी हल निकाले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शांति कोई कमजोरी नहीं, बल्कि सबसे बड़ी ताकत है, इसी ताकत को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि शांति तभी स्थायी होगी, जब लोगों का भरोसा मजबूत किया जाए, न कि उन्हें धमकाकर चुप किया जाए।

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