Pahalgam Terror Attack: ‘चुप रहना पाप…’, 30 साल में पहली बार श्रीनगर से जम्मू तक शहर बंद, लोगों में गुस्सा

Pahalgam Terror Attack: 'Keeping silent is a sin...', for the first time in 30 years, cities from Srinagar to Jammu are closed, people are angryPahalgam Terror Attack: 'Keeping silent is a sin...', for the first time in 30 years, cities from Srinagar to Jammu are closed, people are angry

Jammu and Kashmir Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों ने जो कायराना हरकत की उसके बाद पूरे जम्मू-कश्मीर में लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. श्रीनगर में लाल चौक में घंटाघर (घड़ी का टॉवर) विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बिंदु बन गया है. राजनेता, व्यापारी और नागरिक हर समाज के लोग सामूहिक रूप से हमले की निंदा करने के लिए एकत्र हुए. बुधवार शाम को शहर के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन और जुलूस निकाले गए. जिसमें श्रीनगर के नौहट्टा में जामिया मस्जिद के बाहर भी प्रदर्शन और जुलूस निकाले गए. जिसमें स्थानीय निवासी तख्तियां और मोमबत्तियां लेकर आए.

30 सालों में पहली बार इस तरह का प्रदर्शन
इंडियन एक्सप्रेस में छपी के रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में पहलगाम से लेकर श्रीनगर तक और जम्मू में किश्तवाड़ से लेकर डोडा तक, बुधवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और बंद देखे गए, तीन दशकों में पहली बार ऐसा हुआ कि आतंकवादी हत्याओं ने इतने बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा किया है.

पहलगाम में 800 लोगों ने रखा बंद, चुप रहने को बताया पाप
पहलगाम में लगभग 800 लोगों जिनमें से कई पर्यटन से जुड़े हैं उन लोगों ने पूर्ण बंद रखा और हत्याओं की निंदा करते हुए तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरे. पहलगाम होटलियर्स एंड गेस्टहाउस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुश्ताक अहमद ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम दुनिया और हमलावरों को बताना चाहते हैं कि हम पर्यटकों के साथ खड़े हैं.” “हमलावरों को यह बताने के लिए विरोध प्रदर्शन ज़रूरी थे कि इस तरह के हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. ऐसा नहीं है कि हमारी आजीविका प्रभावित हुई है, हमारे पास दूसरे साधन भी हो सकते हैं, लेकिन चुप रहना पाप है.”

लाल चौक पर विरोध प्रदर्शन
लाल चौक पर विरोध प्रदर्शन में कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री भी शामिल हुई, जबकि मक्का मार्केट में काले झंडे फहराए गए. चूंकि हमलों के कारण पर्यटकों का पलायन शुरू हो गया था, इसलिए कश्मीर में विभिन्न होटल व्यवसायियों के संघों के सदस्यों ने लोगों से घाटी की अपनी यात्रा रद्द न करने का आग्रह किया.

जो खुशी मनाने आए, वह ताबूत में गए ये दुखद
नागरिक समाज के सदस्यों द्वारा श्रीनगर के अब्दुल्ला ब्रिज पर एक मौन मार्च निकाला गया, जहां कई महिलाएं पीड़ितों के परिवारों के साथ एकजुटता में एकत्र हुईं. विरोध प्रदर्शन के दौरान राजबाग निवासी अमना अली ने कहा, “यह भयानक है कि निहत्थे नागरिक उन स्थितियों और नीतियों का खामियाजा भुगत रहे हैं, जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है.” “जो व्यक्ति अपने परिवार के साथ खुशी के कुछ पल बिताने के लिए यहां आना चाहता है, उसे ताबूत में वापस नहीं जाना चाहिए.”

जम्मू में सब हुए एकजुट
जम्मू क्षेत्र में भी धार्मिक और राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. दोपहर 3.30 बजे, जम्मू-कश्मीर सरकार और क्षेत्र भर के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों ने सम्मान और एकजुटता में दो मिनट का मौन रखा. किश्तवाड़ और डोडा के मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने हमलावरों के खिलाफ “कड़ी से कड़ी कार्रवाई” की मांग को लेकर प्रदर्शन किया.

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