Wife Property Rights : पति की प्रोपर्टी में पत्नी के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्णय

News Just Abhi, Digital Desk- भारत में शादी के बाद अधिकांश लोग मानते हैं कि महिला का ससुराल ही उसका सबकुछ होता है. उसे अपने माता-पिता, भाई-बहन और परिवार को छोड़कर नए घर में जीवन बिताना होता है. इस बदलाव के कारण महिला को समाज और कानून द्वारा कुछ अधिकार प्रदान किए जाते हैं, जिससे उसकी स्थिति मजबूत हो सके और वह ससुराल में सुरक्षित रह सके. आज हम इस खबर में ये जानने की कोशिश करेंगे कि क्या सिर्फ शादी कर लेने से कोई महिला किसी पुरुष की प्रॉपर्टी में बराबर की हकदार हो जाती है?

RBI Guidelines : 500 रुपये के नोट को लेकर सरकार ने जारी किया हाई अलर्ट

क्या कहता है कानून-

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) और मुस्लिम पर्सनल लॉ संपत्ति के उत्तराधिकार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये कानून यह निर्धारित करते हैं कि संपत्ति पर किसका कितना अधिकार है. महिला को अपने पति या ससुराल की संपत्ति पर अधिकार पाने के लिए केवल शादी करना ही पर्याप्त नहीं है; बल्कि यह कई अन्य परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है.

ये नियम बहुत जरूरी-

भारतीय कानून (Indian law) के अनुसार, पति के जीवित रहते उसकी खुद से अर्जित की गई संपत्ति पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं होता है. पति की मृत्यु के बाद ही उसकी पत्नी का संपत्ति में हक होगा, लेकिन मरने से पहले अगर पति ने कोई वसीयत (will) लिखी होगी, तो उसके आधार पर संपत्ति का अधिकार (property rights) तय होगा. यानी अगर वसीयत में पत्नि का नाम नहीं होगा तो उसे उस संपत्ति में भी अधिकार नहीं मिलेगा.

MCX Gold Rate Down : गिर गया सोना, खत्म हो गई तेजी, एक्सपर्ट ने बता दिया मई तक कीतने होंगे गोल्ड रेट

जबकि, नियमों के मुताबिक, तलाकी की स्थिति में या पति से अलग होने की स्थिति में महिला को अपने पति से भरण-पोषण के लिए सिर्फ गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार है. यानी ये बात तो साफ है कि अलग होने पर वह पति की संपत्ति में से अधिकार नहीं मांग सकती.

ससुराल की संपत्ति में अधिकार-

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार, एक महिला का ससुराल की पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) पर कोई अधिकार तब तक नहीं होता जब तक उसका पति या सास-ससुर जीवित हैं. लेकिन पति की मृत्यु के बाद, उसे अपने पति के हिस्से की संपत्ति प्राप्त करने का अधिकार होता है. 1978 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुपद खंडप्पा मगदम बनाम हीराबाई खंडाप्पा मगदम मामले में साझा संपत्ति से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया था, जिसने महिलाओं के अधिकारों को मजबूत किया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *