Drugs: ड्रग्स के खिलाफ केंद्र सरकार सख्त कदम उठा रही है. सरकार के प्रयासों का असर दिख भी रहा है और बड़े पैमाने पर ड्रग्स की जब्ती हो रही है. मोदी सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति के तहत दिल्ली-एनसीआर में एक बड़े नार्को-नेटवर्क का भंडाफोड़ किया गया है. एनसीबी और दिल्ली पुलिस ने गिरोह को दबोचते हुए 27.4 करोड़ रुपये मूल्य के मेथमफेटामाइन, एमडीएमए और कोकीन बरामद किया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने पिछले साल हजारों करोड़ रुपये मूल्य के ड्रग्स को जब्त कर एक अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का खुलासा किया था. केंद्र सरकार की सख्त नीति के कारण मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान रिकॉर्ड मात्रा में ड्रग्स की जब्ती की गयी है. साथ ही ऐसे कारोबार पर लगाम लगाने के लिए एनसीबी को भी सशक्त बनाने का काम किया गया है.
सोमवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि ड्रग कारोबार के खिलाफ सरकार का अभियान निरंतर जारी है. गृह मंत्री ने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ.इस बड़ी कामयाबी के लिए एनसीबी और दिल्ली पुलिस सराहना के पात्र है. कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय नारकोटिक्स हेल्पलाइन के टोल-फ्री नंबर 1933 पर कॉल करके नशीले पदार्थों की बिक्री से जुड़ी जानकारी साझा कर सकता है.
कैसे हुआ भंडाफोड़
दिल्ली के छतरपुर क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले मेथमफेटामाइन के लेनदेन की सूचना मिलने पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की संयुक्त टीम ने संदिग्धों पर नजर रखी. टीम ने एक संदिग्ध वाहन को रोका, जिसमें 5.103 किलोग्राम उच्च गुणवत्ता वाला क्रिस्टल मेथमफेटामाइन बरामद हुआ, जिसकी अनुमानित कीमत 10.2 करोड़ रुपये है. वाहन में सवार पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें चार अफ्रीकी नागरिक शामिल हैं, जो नाइजीरिया के एक प्रभावशाली परिवार से संबंधित हैं. गहन पूछताछ और तकनीकी जांच से पता चला कि यह प्रतिबंधित सामग्री पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर स्थित एक अफ्रीकी किचन से लायी गयी थी. जब इस किचन की तलाशी ली गयी, तो वहां से 1.156 किलोग्राम क्रिस्टल मेथमफेटामाइन, 4.142 किलोग्राम अफगान हेरोइन और 5.776 किलोग्राम एमडीएमए (एक्स्टसी पिल्स) बरामद हुए, जिनकी कुल अनुमानित कीमत 16.4 करोड़ रुपये है.
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इसके अलावा ग्रेटर नोएडा में एक किराए के अपार्टमेंट की तलाशी के दौरान 389 ग्राम अफगान हेरोइन और 26 ग्राम कोकीन भी बरामद की गयी. जांच में पता चला कि यह गिरोह अफ्रीकी युवाओं को नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल होने में मदद करता था और उन्हें दिल्ली और पंजाब के प्रमुख निजी विश्वविद्यालयों में दाखिला के लिए स्टूडेंट वीजा प्राप्त करने में मदद करता था. कुछ ऐसे छात्रों के मामले में वीजा केवल भारत में रहने का एक माध्यम था, जबकि वे ड्रग्स की आपूर्ति और क्रिप्टो करेंसी के जरिए धन हासिल करने का काम कर रहे थे. इस ड्रग सिंडिकेट के संपर्कों की पहचान के लिए जांच जारी है.