हनुमान जयंती पर विशेष: हनुमान जी के चरित्रों का पाठ करते हुए उनका अनुसरण करें: डा. पुनीत गोयल

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इस वर्ष हनुमान जयंती चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि यानी 12 अप्रैल को मनाई जाएगी। डा. पुनीत गोयल ने बताया कि हनुमान जी को भगवान श्री राम जी का परम भक्त माना जाता है। यह दिन भक्तों को उनकी शक्ति, भक्ति और नि:स्वार्थ सेवा के गुणों की याद दिलाता है। 

इस दिन हनुमान मंदिर में विशेष रूप से पूजा/अर्चना, भजन/कीर्तन और भंडारे का आयोजन होता है। वैसे तो हनुमान जी के पूरे जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है, परंतु कुछ दृष्टांत है, जो हमें जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं की ओर इशारा करते हैं। जैसे कि पहला दृष्टांत, तब जब बाल हनुमान जी को तीव्र भूख लगी और उन्होंने एक ही छलांग में सूर्य को सेब समझकर मुंह में ले लिया, इससे परीक्षा की तैयारी कर रहे बच्चों को समझना चाहिए कि अगर वह किसी लक्ष्य को पाना चाहते हैं, किसी बड़े से बड़े एग्जाम को पास करना चाहते हैं तो उन्हें हनुमान जी की ही भांति एक ही लक्ष्य करके केवल अपने लक्ष्य की ओर भगाना होगा। 

जैसे कि हनुमान जी ने केवल सूर्य को लक्ष्य करके करोड़ों मील दूर सूर्य के पास पहुंचकर उन्हें अपने मुंह में भर लिया, वैसे ही आपका कोई भी एग्जाम या कोई भी चुनौती इतनी बड़ी नहीं है कि अगर आप उसकी तरफ  एक लक्ष्य करके बढ़े तो उसे पा न पाए। इसी कहानी में आगे फिर जब देवराज इंद्र ने हनुमान जी पर वज्र का प्रहार किया तब उनके पिता वायु देव ने उन्हें आकर संभाला। इससे यह सीखना चाहिए कि किसी भी विपरीत परिस्थिति में आपके माता-पिता व गुरुजन आपके साथ ही खड़े मिलेंगे। आगे चलकर जब हनुमान जी ने अनजाने में ही सही, अपनी शक्तियों से किन्हीं ऋषि आश्रम में परेशानी उत्पन्न की, तब उन्हें अपने सारी शक्तियों को भूल जाना पड़ा। इससे यह सीखना चाहिए कि अगर आपके पास औरों से कुछ ज्यादा है तो सावधानी पूर्वक उसका उचित लाभ दूसरों की मदद करके उठाना चाहिए। वरना पछताना पड़ सकता है। 

दूसरा वृतांत सुंदरकांड की शुरुआती अंशों में जब प्रभु श्री राम ने हनुमान जी को उनकी टोली समेत सीता जी को खोजने के लिए भेजा और बहुत खोजने के बाद सारी टोली ने समुद्र तट के पास डेरा डाला और जब जटायु जी के कहने पर लंका में जाकर मां सीता को खोजने की बात आई, तब यह प्रश्न उठा कि इस 100 योजन समुद्र को कौन और कैसे लांघेगा और सभी वानरों ने असमर्थता जताई। तब जामवंत जी की याद दिलाने पर हनुमान जी एक ही छलांग में लगभग 1287 किलोमीटर का समुद्र लांघ गए। इससे हमें सीखना चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों आने पर निराश हुए बिना अपने अंदर की शक्तियों और संभावनाओं को पहचान कर आगे बढ़ना चाहिए। अगर एक इंसान सोच ले तो क्या नहीं कर सकता। आज मनुष्य के दिमाग ने साइंस की उन ऊंचाइयों को छुआ है, जहां हम इस (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के बीच में है। यह केवल इंसान की ही असीम शक्तियों का ही तो उदाहरण है। 

इसके आगे की कथा आप सब जानते हैं कि कैसे हनुमान जी ने सुरसा आदि राक्षसों को अपनी बुद्धिमत्ता से परास्त करके न केवल लंका तक पहुंचे बल्कि अंतत: सीता माता जी का पता भी लगाया ठीक इसी तरह इंसान भी अगर कठिनाइयों को अपनी बुद्धिमत्ता और धैर्य से पर करता जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। तो आइए इस महान उत्सव पर हनुमान जी को याद करते हुए सुंदरकांड, हनुमान अष्टक, बजरंग बाण, हनुमान चालीसा का पाठ करें और उन्हें बूंदी, लड्डू या बर्फी का भोग लगाएं और उनके जीवन से सीखते हुए अपने अंधकार और निराशा को त्याग कर जीवन में आगे बढ़े। अवश्य ही बाबा जी सब पर अपना आशीर्वाद बनाए रखेंगे।
 

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