News Just Abhi – (High Court) कुछ दिन पहले कोर्ट की तरह से पत्नी की प्रोपर्टी पर पति के हक को लेकर बात कही गई थी। अब हाल में कोर्ट में ऐसा मामला सामने आया था, जिसके तहत कोर्ट ने पति की प्रोपर्टी पर पत्नी के हक (wife’s rights on property) को लेकर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मामले की जांच के दौरान पति और पत्नी के अधिकारों को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। आइए जानते हैं कोर्ट के इस फैसले के बारे में खबर के माध्यम से।
जानिए क्या है पूरा मामला-
मामले की बात करें तो इस मामले में हाईकोर्ट 1965 में शादी करने वाले एक जोड़े के बीच की सुनवाई कर रही थी। 2002 में महिला के पति कन्नैयन नायडू ने कोर्ट में एक मुकदमा दायर किया था जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी के खिलाफ मुकद्मा दायर किया था,
उनका कहना था कि जब वह विदेश में काम करते थे, तो उनकी पत्नी ने उनकी गैर मौजुदगी में उनके पैसे से उनकी ओर से खरीदी गई संपत्तियों पर कब्जा करने का प्रयत्न किया।
मामले के दौरान पति ने लगाए ये आरोप-
इसके साथ ही नायडू ने अपनी पत्नी पर यह भी आरोप लगाया कि उनकी पत्नी गलत जिंदगी जी रही थी और उसकी गैर मौजुदगी में उनकी पत्नी ने संपत्तियों (property rights) को अपने नाम करने के लिए एक व्यक्ति की मदद ली थी पत्नी ने इस बारे में अपने वितर्क दिए कि वह संपत्तियों पर बराबर का हक रखती है, क्योंकि जब उनका पति विदेश में था तो वही उनके परिवार की देखभाल करती थी और इस दौरान उन्होंने अपने रोजगार के अवसरों को छोड़ दिया था।
साथ ही उनका कहना है कि अपने पति के लिए उन्होंने अपनी पैतृक संपत्ति (ancestral property) बेच दी। इसके साथ ही उन्होंने सिलाई और ट्यूशन से पैसे बचाकर संपत्तियां खरीदीं।
पत्नी के अधिकारो को किया स्पष्ट-
मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) में जब यह मामला सामने आया तो मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) ने हालही में एक फैसला दिया, जिसमें कहा गया था कि एक पत्नी घर का प्रबंधन करने के साथ-साथ पति को काम के लिए बाहर निकलने और कमाने में सहयोग करती है और उसके घर की जिम्मेदारी के लिए अपने सपनों का त्याग करती है और पारिवारिक संपत्ति के अर्जित में भी अपना बराबर का योगदान देती है। इसलिए पति के नाम में जितनी भी संपत्तियों होती है, उसपर पत्नी आधे हिस्से की हकदार होती है।
मद्रास हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला-
इस फैसले के तहत न्यायमूर्ति ने कहा कि भारत में पत्नी द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जो योगदान दिए गए है उनके लिए अब तक कोई कानून नहीं बनाया गया है, लेकिन कोर्ट द्वारा इन योगदानों को अच्छी तरह से पहचाना जाता है।
हाईकोर्ट (Madras HC on husband wife)का कहना है कि अपने पति और बच्चों की देखभाल करना एक मुश्किल काम है, जिस दौरान वह स्वंय के लिए ऐसा कुछ नहीं कर पाती है, जिसे वह अपना कह सके।
कोर्ट का कहना है कि अगर संपत्ति का अधिग्रहण परिवार के भले के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दोनों पति-पत्नी के संयुक्त योगदान से किया जाता है, तो ऐसे मामले में पति और पत्नी दोनों समान हिस्से के हकदार होंगे।