हीरे-मोती, सोने-चांदी से भी महंगी छिपकली, लाल बैग खुलते ही उड़ गए सबके होश

Assam News: अक्सर देखा जाता है कि लोग विषैले जानवरों की तस्करी करते हैं. इससे उन्हें मोटा मुनाफा होता है. कभी सांप के जहर तो कभी विषैले सांप. हालांकि असम में छिपकली की तस्करी करते हुए तस्करों को पड़ा गया है. इनके पास से जो छिपकली बरामद हुई है उसकी कीमत लाखों रुपए में एक बताई जा रही है. ये दुर्लभ प्रजाति की छिपकलियां हैं. जानिए पूरा मामला.

अंतरिक्ष अनुसंधान में किया जाता है इस्तेमाल
असम पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने डिब्रूगढ़ जिले में 11 टोके गेको छिपकलियों को बरामद किया और तीन तस्करों को गिरफ्तार किया, इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार छिपकली का इस्तेमाल अंतरिक्ष अनुसंधान में भी किया जाता है, जिससे इसकी कीमत और भी बढ़ गई है. तीन तस्कर देबाशीष दोहुतिया (34), मानष दोहुतिया (28) और दीपांकर घरफलिया (40) इन दुर्लभ छिपकलियों को ₹60 लाख में बेच रहे थे, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है.

असम पुलिस ने किया पोस्ट
एक्स पर एक पोस्ट में, असम पुलिस ने कहा कि दुर्लभ सरीसृपों को वापस जंगल में छोड़ दिया जाएगा. एक छिपकली के लिए ₹60 लाख से ज़्यादा? हमारी नज़र में ऐसा नहीं है. साथ ही लिखा कि वाहन जब्त किए गए हैं और गेको को वापस जंगल में छोड़ दिया जाएगा. वहीं मामले को लेकर पुलिस ने कहा कि तस्कर डिब्रूगढ़ जिले के एक ढाबे पर मिलने आए थे और उन्हें लाल रंग के बैग के साथ गिरफ़्तार किया गया. पुलिस टीम ने उन्हें पकड़ा और बैग की तलाशी ली, तो उन्हें नायलॉन बैग के अंदर बंधे 11 टोके गेको मिले.

बेचना है प्रतिबंधित
यह प्रजाति वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के तहत रिजर्व है. इसके लिए अधिकतम सज़ा सात साल है, यह एक गैर जमानती अपराध है. इसको बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. यह प्रजाति भारत में अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों और असम के कुछ इलाकों में ही पाई जाती है. अंतरिक्ष अनुसंधान में दुर्लभ गेको का उपयोग किया जाता है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार चीन में सूखे गेको का उपयोग अस्थमा, कैंसर विरोधी दवा के रूप में किया जाता है.

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