
हज यात्रा पर स्पेन के मुसलमान (Photo:Bunyamin Celik/Anadolu via Getty Images)
हज 2025 का मौका आ गया है. दुनियाभर के हज यात्रियों का धीरे-धीरे सऊदी अरब पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो रहा है. हालांकि, कुछ लोग ऐसे हैं जो महीनों पहले ही अपना घर छोड़ मक्का-मदीना की तरफ निकल चुके हैं. ये लोग वो हैं, जिन्हें न पानी के जहाज़ से यात्रा करनी है और न ही हवाई जहाज़ से सऊदी पहुंचना है. ये हैं, घोड़ों पर सवार होकर हज के लिए जाने वाले यात्री.
हर साल, जब हज का मौका आता है, दुनियाभर के लाखों मुसलमान सऊदी अरब के पवित्र शहरों मक्का और मदीना की ओर रुख करते हैं. इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हज, आर्थिक तौर पर मजबूत हर मुसलमान के लिए जीवन में कम से कम एक बार जरूरी होता है. इसी फर्ज़ को पूरा करने के लिए यूरोपीय देश स्पेन के मुसलमान घोड़ों पर सवार होकर मक्का-मदीना तक की यात्रा करते हैं.
यह न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि स्पेन के इस्लामी इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का भी प्रतीक मानी जाती है.
क्या है घुड़सवारी की ये परंपरा
स्पेन का इस्लाम के साथ एक गहरा और समृद्ध इतिहास रहा है. आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी तक स्पेन का एक बड़ा हिस्सा, जिसे तब अल-अंदलुस के नाम से जाना जाता था, मुस्लिम शासकों के अधीन था. इस दौरान, इस्लामी कला, विज्ञान, साहित्य और संस्कृति ने यूरोप में अपनी अमिट छाप छोड़ी. यहां के मुसलमान अपनी घुड़सवारी के लिए भी मशहूर थे.
हज यात्रा के लिए घोड़ों का उपयोग उस समय आम था जब यात्रा के लिए मोटर गाडियां या जहाज नहीं थे. उस वक्त हज यात्री अक्सर ऊंटों, घोड़ों या पैदल ही सफर करते थे. स्पेन के मुसलमानों ने इस परंपरा को न केवल धार्मिक कर्तव्य के रूप में अपनाया, बल्कि इसे अपनी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा बना लिया.
करीब 10 लाख मुस्लिम आबादी वाले स्पेन के लिए हज कोटा एक हजार से भी कम है. हर साल एक छोटा ग्रुप इस यात्रा के लिए तैयार होता है. ये यात्री अपने घोड़ों को सजाते हैं, पारंपरिक परिधान पहनते हैं और स्पेन के दक्षिणी हिस्सों से अपनी यात्रा शुरू करते हैं.
मौजूदा वक्त में जब हवाई जहाज और अन्य माध्यमों के जरिए हज यात्रा इतनी आसान हो गई तब भी स्पेन के कुछ मुसलमान इस प्राचीन परंपरा को जीवित रखे हुए हैं.
किस रूट से पहुंचते हैं सऊदी
हज 2025 के लिए भी स्पेन के मुसलमान अपने अंदाज में घोड़ों पर निकल चुके हैं. इस बार तीन लोगों का ग्रुप है जिसमें दो नौजवान और एक अधेड़ उम्र के शख्स हैं. इनके नाम अब्दुल्ला हरनांदेज, अब्दुल कादिर हरकास्सी, तारिक रोद्रिगीज हैं. ये तीनों अपने-अपने घोड़ों पर नवंबर में स्पेन से निकले थे.
इनका पूरा रूट 8000 किलोमीटर का है. स्पेन से इटली, स्लोवेनिया, क्रोएशिया, बोस्निया, ग्रीस, तुर्किए और सीरिया होते हुए इन तीनों को सऊदी पहुंचना है. ताजा अपडेट के मुताबिक, इन तीनों का सफर सीरिया तक पहुंच गया है जो सऊदी का पड़ोसी देश है. यानी अप्रैल महीने के आखिर तक ये लोग सऊदी पहुंच जाएंगे और वक्त पर हज में शामिल होंगे.
तुर्किए में हुआ था भव्य स्वागत
तुर्किए के इस्तांबुल में जब ये तीनों यात्री पहुंचे तो यहां के सबाहतिन ज़ैम विश्वविद्यालय में इनका स्वागत किया गया. इन्होंने छात्रों और अपने फैंस से मुलाकात की. तीर्थयात्रियों का छात्रों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया और उनके साथ यादगार तस्वीरें खिंचवाईं.
जब भारत से पैदल हज पर गया एक युवा
भारत के दक्षिण राज्य केरल के एक युवा ने पैदल सऊदी जाकर हज का सफर पूरा किया तो हर तरफ इसकी चर्चा हुई. शिहाब चोत्तूर ने हज यात्रा के लिए मक्का तक पैदल जाने का फैसला किया था और उन्होंने लगभग 8600 किलोमीटर की ये यात्रा पूरी भी की. शिहाब को करीब 370 लगे थे और वो भारत से पाकिस्तान, ईरान, इराक और कुवैत होते हुए सऊदी पहुंचे थे.
इस साल भारत के 1 लाख 75 हजार हाजी
सऊदी अरब हर साल अलग-अलग देशों का हज कोटा तय करता है. सऊदी जितने लोगों की इजाजत देता है उतने ही लोग हज के लिए जा पाते हैं. भारत के लिए हज 2025 के लिए 1 लाख 75 हजार लोगों का कोटा है. इस साल से सऊदी ने कुछ गाइडलाइंस भी बदली हैं. 12 साल से कम उम्र के बच्चों को हज पर जाने की इजाजत नहीं दी गई है. ये फैसला सुरक्षा की दृष्टि से लिया गया है.