150 से अधिक पुरुषों से मेरा बन चुका है संबंध, मैं क्या करूं? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया समाधान

I have had relations with more than 150 men, what should I do? Premanand Ji Maharaj told the solutionI have had relations with more than 150 men, what should I do? Premanand Ji Maharaj told the solution

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन के लिए जब भक्त पहुंचते हैं तो अपनी समस्याओं का जिक्र उनसे करते हैं और उनसे समाधान पाने की भी चाहत रखते हैं। प्रामानंद महाराज भी समस्याओं का हल बताना से संकोच नहीं करते हैं। हाल ही में एक शख्स उनका दर्शन करने के लिए वृंदावन पहुंचा था। इस दौरान शख्स ने जो बात कही वह सुनकर वहां मौजूद लोगों की आंखें फटी की फटी रह गईं। शख्स ने प्रेमानंद महाराज से कहा कि वह अब तक 150 से अधिक पुरुषों के साथ संबंध बना चुका है। शख्स ने यह भी कहा कि वह इससे काफी दुखी है और इससे बाहर निकलना चाहता है।

समलैंगिक युवक की समस्या सुनने के बाद प्रेमानंद महाराज से बहुत ही सरल और सहज भाव से उसे समाधान बताया। उन्होंने कहा, ‘यह आपकी उपज नहीं है। आपको यह चीज पसंद भी नहीं है। यह आपके दिमाग में जमा बैठ है। यह केवल एक संस्कार मात्र है। अगर आप इससे लड़कर जीतते नहीं है तो आपकी छवि खराब होगी।’ प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि हमें यह शरीर संसार से जीतने के लिए मिला है ना कि इस संस्कार में मिट जाने के लिए।

मोबाइल इस्तेमाल से कैसे पाएं छुटकारा?
इससे पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं जब प्रेमानंद जी महाराज ने लोगों के भटके हुए मन को ठहराव दिए हैं। हाल ही में एक युवक ने उनसे मोबाइल से छुटकारा पाने के लिए सुझाव मंगा था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कुछ समय और कुछ जगहों पर हमें मोबाइल फोन के इस्तेमाल से बचना चाहिए।

प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि लोगों को मोबाइल का इस्तेमाल खाना खाते समय नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सेहत के लिए नुकसानदायक साबित होता है। उन्होंने यह भी बताया कि खाते समय फोन चलाना भोजन का अपमान माना जाता है। प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, सत्संग और प्रवचन सुनते समय मोबाइल के इस्तेमाल से बचना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।

प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि पूजा-पाठ करते समय मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे मन पूजा में नहीं रम पाता और भटक जाता है। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं।

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