पहलगाम आतंकी हमले को 10 दिन से अधिक हो गये हैं. कश्मीर में घटना को अंजाम देने वाले और इसमें उनकी मदद करने वालों की तलाश की जा रही है. अभी तक जो जानकारी निकलकर आई है उसके मुताबिक दो पाकिस्तानी मूसा और अली के अलावा दो कश्मीर के आतंकवादी इसमें शामिल हैं. इनक मदद करने वाले स्थानीय लोगों की संख्या काफी ज्यादा है, चाहें वो खच्चर वाले के वेष में रहे हों या गाइड रहे हों.
दो चीज एकदम साफ हो गई है. पहली यह कि इस बर्बर घटना के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई हैं बाकी सब उसके मोहरे हैं. ये मोहरे पाकिस्तान से भी हैं और हिंदुस्तान से भी. उन्हें तलाशना और गिरफ्तार करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है क्योंकि वो पहाड़ों और जंगलों में छिपे हुए हैं. दूसरी बात यह है कि इसमें स्थानीय लोगों ने आईएसआई के OGW के रूप में काम किया.
पाक में बच्चों को ह्यूमन शील्ड बनने की ट्रेनिंग
भारत दुनिया को बता चुका है कि वह आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा. भारत की सेनाएं लगातार, समुद्र से लेकर आकाश में युद्धाभ्यास कर रही है. इस बीच डरे सहमें पाकिस्तान ने स्कूली बच्चों को युद्ध के लिए तैयार करना शुरू कर दिया है. बच्चों को “ह्यूमन शील्ड” बनने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है.पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद क्षेत्र के 13 स्कूलों में बच्चों को युद्ध के दौरान प्राथमिक चिकित्सा और सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इन स्कूलों के खेल के मैदानों को आपातकालीन प्रशिक्षण केंद्रों में बदल दिया गया है, जहां बच्चों को सिखाया जा रहा है कि युद्ध की स्थिति में वे कैसे “ह्यूमन शील्ड” बनकर अपनी और दूसरों की सुरक्षा कर सकते हैं. यह प्रशिक्षण 10 से 12 वर्ष के बच्चों को भी दिया जा रहा है.
गांवों में बंकर बना रही पाक सेना
नियंत्रण रेखा (LOC) के पार पाकिस्तान की तरफ हजारों की संख्या में स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी हैं. इनमें से 1195 तो नियंत्रण रेखा के पास है. इन स्कूलों में पाक सरकार फर्स्ट एड की ट्रेनिंग दे रही है. स्टूडेंट्स को सिखाया जा रहा है कि हमले की स्थिति में कैसे उन्हें अपनी और दूसरों की जान बचानी है. इतना ही नहीं POK के गांवों में गांव छोड़कर जाने वाले लोगों पर पाकिस्तानी वहीं रहने का दवाब डाल रहे हैं सेना गांव में बंकर बना रही है…ये इसलिए किया जा रहा है कि अगर भारतीय सेना हमला करे तो वो दुनिया को बता सकें कि भारत आम लोगों को मार रहा है. ये वही पाकिस्तानी सेना है जो अपने नागरिकों के लिए अटारी के गेट नहीं खोलती., करगिल युद्ध में मारे गए अपने ही सैनिकों के शव लेने से इनकार कर देती है
POK में स्थानीय लोग कर रहे प्रदर्शन
POK में स्थानीय लोग इस प्रशिक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि पाकिस्तानी सेना नागरिकों को “ह्यूमन शील्ड” के रूप में इस्तेमाल कर रही है, ताकि भारत के खिलाफ प्रचार किया जा सके. दरअसल उसकी रणनीति यह है कि भारत जैसे ही हमला बोले वो प्रचारित करे कि आम लोगों खासतौर से बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इन विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया है.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने बच्चों को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने की इस नीति की कड़ी निंदा की है. यह न केवल बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह उन्हें युद्ध की आग में झोंकने का प्रयास भी है. ऐसी कार्रवाइयां बच्चों की शारीरिक और मानसिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं.
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