चीन ने कर ली जंग की तैयारी, बॉर्डर पर 100 से ज्यादा न्यूक्लियर मिसाइलें तैनात की, टेंशन में अमेरिका!


पेंटागन की एक नई ड्राफ्ट रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने मंगोलिया सीमा के पास मिसाइल साइलो फील्ड्स में 100 से अधिक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) लोड कर दी हैं. यह खुलासा न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में हुआ है, जिसने वॉशिंगटन में रणनीतिक हलचल बढ़ा दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, ये मिसाइलें ठोस ईंधन से चलने वाली DF-31 ICBM हैं, जिन्हें तीन अलग-अलग साइलो क्षेत्रों में तैनात किया गया है.

मिसाइल साइलो क्या होते हैं?
मिसाइल साइलो जमीन के नीचे बनाए गए बेहद मजबूत और सुरक्षित बंकर होते हैं, जिनमें लंबी दूरी की बैलिस्टिक या परमाणु मिसाइलें खड़ी अवस्था में रखी जाती हैं. जरूरत पड़ने पर ये तुरंत लॉन्च की जा सकती हैं. ये खबर आप जस्ट अभी में पढ़ रहे हैं। इन्हें मोटी कंक्रीट और स्टील से इसलिए बनाया जाता है ताकि दुश्मन के हमले, यहां तक कि परमाणु हमले से भी मिसाइलें सुरक्षित रहें और किसी देश को ‘सेकंड स्ट्राइक’ यानी पहले हमले के बाद भी जवाबी हमला करने की क्षमता मिल सके, साथ ही कई साइलो जानबूझकर खाली रखे जाते हैं ताकि दुश्मन भ्रम में रहे कि असली मिसाइलें कहां तैनात हैं.

ये साइलो पहले से ज्ञात थे, लेकिन उनमें कितनी मिसाइलें वास्तव में ऑपरेशनल थीं, इसका आकलन पहली बार सामने आया है. पेंटागन के आकलन के अनुसार, चीन इस समय दुनिया का वह इकलौता परमाणु शक्ति संपन्न देश है, जो सबसे तेजी से अपने न्यूक्लियर हथियारों का आधुनिकीकरण और विस्तार कर रहा है. रिपोर्ट बताती है कि चीन के पास फिलहाल करीब 600 परमाणु वॉरहेड हैं, और मौजूदा रुझान जारी रहे तो 2030 तक यह संख्या 1,000 से ऊपर जा सकती है.

ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि मिसाइल साइलो नेटवर्क, मोबाइल लॉन्च सिस्टम और नई पीढ़ी की ICBM तैनाती चीन की एक गहरी और दीर्घकालिक परमाणु रणनीति की ओर इशारा करती है, जो केवल क्षेत्रीय रक्षा तक सीमित नहीं है.

ढक्कन लगा मिसाइल साइलो.
हथियार नियंत्रण पर कोई बात नहीं करेगा चीन
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बीजिंग फिलहाल हथियार नियंत्रण (Arms Control) को लेकर किसी गंभीर बातचीत के मूड में नहीं है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से चीन, रूस और उत्तर कोरिया के साथ व्यापक परमाणु समझौते की वकालत करते रहे हैं, लेकिन पेंटागन के मुताबिक चीन में ‘ऐसी किसी पहल के लिए कोई इच्छा नहीं दिख रही’. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीन की ओर से अब तक ऐसी सभी रिपोर्टों को ‘चीन को बदनाम करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने की कोशिश’ बताया गया है.

किन देशों पर निशाना?
हालांकि ड्राफ्ट रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इन नई मिसाइलों के संभावित लक्ष्य कौन-से देश हैं, लेकिन यह आकलन साफ करता है कि चीन अब एशिया-प्रशांत क्षेत्र से बाहर भी शक्ति दिखाने की क्षमता विकसित कर रहा है. इससे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की रणनीतिक चिंताएं और गहरी हो गई हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *